रियो पैरालिंपिक 2016 में देवेन्द्र झांझरिया ने लिखी एक नई इबारत भाला फेंक (जैवलिन थ्रो) प्रतियोगिता में अपना ही पिछला विश्व रेकार्ड तोङते हुए नया विश्व कीर्तिमान रचते हुए स्वर्ण पदक अपने नाम कर लिया। राजस्थान के चुरू जिले से ताल्लुक रखने वाले देवेंद्र जब आठ साल के थे तो पेड़ पर चढ़ने के दौरान एक इलेक्ट्रिक केबिल की चपेट में आ गए थे। जिसकी वजह से डॉक्टरों को उनका बायां हाथ काटने के लिए मजबूर होना पड़ा। अपनी विकलांगता को देवेंद्र ने मजबूरी नही बनने दी और लकङी तथा सरकंडे का भाला बनाकर अभ्यास करने लगे। उनके जज़्बे ने एक नई पहचान दी और देवेंद्र ने अनेक पुरस्कारों के साथ नया कीर्तिमान रचा। राजस्थान सरकार ने बुधवार को रियो पैरालिंपिक-2016 में भालाफेंक स्पर्धा का गोल्ड मेडल जीतने वाले भारतीय पैरा-एथलीट देवेंद्र झझारिया को 75 लाख रुपये की पुरस्कार राशि देने की घोषणा की है। 2002 में देवेंद्र ने कोरिया में आयोजित आठवीं एफईएसपीआईसी खेलों में गोल्ड मेडल जीता। 2004 में पहली बार एथेंस पैरालिंपिक खेलों के लिए क्वालीफाई किया। उस खेल में उन्होंने पुराने 59.77 मी के विश्व रिकॉर्ड को तोड़कर 62.15 मी जेवलिन थ्रो करके नया कीर्तिमान बनाया। 2012 में पदम श्री से सम्मानित होने वाले देश के पहले पैरालिंपिक खिलाड़ी बने। देवेंद्र ने 2013 में फ्रांस के लियोन में आयोजित आईपीसी एथलेटिक्स विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता। 2014 में दक्षिण कोरिया में आयोजित एशियन पैरा गेम्स और 2015 की वर्ल्ड चैंपियनशिप में उन्होंने सिल्वर मेडल हासिल किया। 2014 में फिक्की पैरा-स्पोर्ट्सपर्सन ऑफ द ईयर चुने गए। देवेन्द्र उपलब्धी ने सिद्ध कर दिया कि--- मंजिल उन्ही को मिलती है, जिनके सपनो में जान होती है। पंखो से कुछ नही होता, हौसलों से उङान होती है।
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