Friday, 19 October 2012

तमन्ना



मेरी बस इतनी सी तमन्ना है कि

मुझे छूना है आकाश को

न चाँद तक जाना है,

न सूरज को पाना है।

दुनिया से ऊँचे उठ कर मुझे, साबित करना है अपने आप को।।

मेरी बस इतनी सी तमन्ना है कि मुझे छुना है आकाश को।।

कोई साथ दे या न दे,

कोई साथ चले या न चले।

अपने ही हाँथों से मुझे, बनाना है अपनी राह को।।

मेरी बस इतनी सी तमन्ना है कि मुझे छुना है आकाश को।।

कई लोग आते हैं कई लोग जाते हैं,

जिन्दगी की जद्दोजहद में न जाने कहाँ खो जाते हैं।

पर जाना है मुझे, जिन्दगी के उस पार को।।

मेरी बस इतनी सी तमन्ना है कि मुझे छुना है आकाश को।।

रास्ते में मुश्किलें आयेंगी हजार,

अङचनो का साया पङेगा बारम्बार।

लेकिन जीवित रखना है मुझे, अपने अंदर के प्रकाश को।।

मेरी बस इतनी सी तमन्ना है कि मुझे छुना है आकाश को।।

पङावों को समझ कर मंजिल, रुकना नही है,

मुश्किलों से थक हार कर झुकना नही है।

सफलता मिलती है, हर दृढ निश्चयी इंसान को।।

मेरी बस इतनी सी तमन्ना है कि मुझे छुना है आकाश को।।

न चाँद तक जाना है,

न सूरज को पाना है।

दुनिया से ऊँचे उठ कर मुझे, साबित करना है अपने आप को।।

मेरी बस इतनी सी तमन्ना है कि मुझे छुना है आकाश को।।


 आकांक्षा शर्मा

 नोट- ये कविता मेरी प्यारी बिटिया आकांक्षा द्वारा लिखी गई है। सभी बेटीयों की तमन्ना पूरी हो, नवरात्री के नौ दिनों के आलावा भी बेटीयों को मान सम्मान एवं प्यार दुलार हमेशा मिलता रहे इसी शुभकामना के साथ सभी बेटीयों का वंदन एवं अभिनंदन करते हैं।


3 comments:


  1. कल 29/11/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  2. बहुत प्यारी रचना....
    शुभकामनाएँ बिटिया को..

    अनु

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