Tuesday, 30 October 2012

Be Happy


आज की भागती दौङती जिदंगी में चन्द खुशियाँ पूरे वातावरण को खुशनुमा बना देती हैं। जीवन में खुशियाँ न हो तो जिंदगी निरस हो जाती है। कहते हैं बूंद बूंद से घङा भरता है उसी तरह छोटी छोटी खुशियाँ पूरे जीवन को सकारत्मक ऊर्जा से सराबोर कर देती हैं।
हम में से कई लोगों को लगता है कि खुशियाँ बाहरी चीजों से आती है जैसे- पैसा, सफलता, प्रसिद्धि आदी। दरअसल हम भ्रमित हो गये हैं कि सच्ची खुशी कहाँ और कैसे मिलेगी? खुशी एक ऐसा भाव है जिसके कई रूप हैं। शांती से लेकर उल्लास तक और आंनद से आध्यात्म तक। इसकी कोई सीमा नही होती। किसी को नई कार खरीदने पर तो किसी को प्रमोशन मिलने पर खुशी मिलती है। छोटे बच्चों को मनचाहा खिलौना मिलने पर खुशी। किसी को डूबती चींटी को बचाकर अर्थात दूसरों की सहायता करके खुशी मिलती है।

मदर टेरेसा ने कहा है कि- The happiness of life is made up of little things- A Smile, A Hug, A Moment of shared laughter.”
जिस तरह हम खुशियों के लिये बाँहे फैलाते हैं, उसी तरह दुखों को भी स्वीकार करना चाहीये। खुशी और गम सिक्के के दो पहलु हैं। असल में हम दुख से भाग कर सुख को कभी नही पा सकते क्योंकि जब तक हम दुख को महसूस नही करेंगे तब तक खुशी के महत्व को नही समझ सकते।
किये गये शोध के अनुसार दूसरे विश्व युद्ध के बाद अमेरिका में पैसा बहुत बढा लेकिन लोगों में खुशी का स्तर उसके मुकाबले कम बढा। कहीं ये भी देखने को मिलता है कि भरपूर पैसा, शोहरत, विलासिता के सभी भौतिक साधन उपलब्ध होने के बावजूद भी लोग खुश नही रहते, कई बार तो आत्महत्या जैसा फैसला भी ले लेते हैं। अमीर देशों में भी लोग उतने ही दुखी हैं जितने गरीब देश में। गाँधी जी का कहना है कि-
ख़ुशी तब मिलेगी जब आप जो सोचते हैं, जो कहते हैं और जो करते हैं, वो सामंजस्य में हों।
सच्ची खुशी एक ऐसी भावना है, जिसे खुद चुना जाता है। सच्ची खुशी एक व्यक्तिगत यात्रा है। उपनिषद में लिखा है कि जो कुछ भी अंनत है, वही असली खुशी है। मार्टिन सेलिगमेन ने अपनी किताब- ऑर्थेटिक हैप्पीनैस में लिखा है किः- खुशी सिर्फ जींस और किस्मत का खेल नही है, इसे हम अपने व्यवहार से हासिल करते हैं।

इन्फोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति के अनुसार- मुझे उस समय बहुत खुशी होती है जब मैं अपने आसपास के लोगों को मुस्कराते हुए देखता हूँ। यह ऐसी संपत्ति बांटने जैसा होता है, जिसकी कोई किमत नही होती।

कुछ लोगों का मानना है कि खुशी के लिये अधिक आत्मविश्वास का होना बहुत जरूरी है किन्तु ये सर्वदा सत्य नही है क्योंकि कई बार अति आत्मविश्वास लोगों के मन में ये भावना ला देता है कि वह जीवन में बहुत कुछ कर सकते थे, लेकिन नही कर सके ये सोच उन्हे दुख में डुबो देती है।

शोध के अनुसार जिन लोगों का व्यवहार सकारात्मक एवं भावात्मक होता है वो सर्दी जुकाम से कम ग्रसित होते हैं। डॉ. कोहने के अनुसार- ऊर्जावान और खुशमिजाज रहने वाले व्यक्तियों की प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होती है क्योंकि जब हम खुश रहते हैं तो दिमाग में ऐसा हार्मोन्स उत्पन्न होता है जो जुकाम से उत्पन्न रसायन को कंट्रोल करता है।

एक चीनी कहावत हैः- एक घंटे की खुशी के लिये – झपकी लें

एक दिन की खुशी के लिये – पिकनिक पर जाएं
एक महिने की खुशी के लिये – शादी कर लें

एक साल की खुशी के लिये – विरासत में संपत्ति पाएं

जिंदगी भर की खुशी के लिये – किसी अनजान व्यक्ति की मदद कीजीये।

खुशियाँ केवल सुखों और अच्छी परिस्थितियों का आनंद उठाने से नही जुङी हैं, बल्कि वे हमारे हर मुश्किल वक्त की तीव्रता को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। कई शोध से यह सिद्ध कर चुके हैं कि- खुश लोग ज्यादा सफल होते हैं। मजबूत रिश्तों का आंनद उठाते हैं एवं कम बीमार पङते हैं। उम्मीद को सदैव जिन्दा रखते हैं तथा बुरे अनुभव से जल्दी उबर जाते हैं।

मित्रों, खुश रहने के लिये किस्मत, पैसा, शक्ती या किसी भौतिक साधन की जरूरत नही होती क्योंकि खुशियां उसी तरह हमारे अंदर है जिस तरह आकाश हमारे बाहर। खुशी तो तितली की तरह है, जिसे पकङने की कोशिश की जाये तो वो दूर हो जाती है और जब हम शांत बैठ जाते हैं तो वह चुपचाप हमारे कंधे पर बैठ जाती है। मित्रों मेरी नजर में खुशी ये है कि-
एक सद्कार्य द्वारा किसी एक को ख़ुशी देना, प्रार्थना में झुके हज़ार सिरों से बेहतर है।

 

 

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