मार्च का महिना जैसे ही शुरु होता है कई
विद्यार्थियों के मन में एक अन्जाना डर दिखने लगता है। ये आलम मई, जून तक रहता है।
ये एक प्रकार का फोबिया है जिसे एक्जामिनेशन फोबिया कहते हैं। फोबिया या भय एक तरह
का आंतरिक डर होता है। डर दिमाग की उपज है, लेकिन उसका असर मन और शरीर दोनो पर
पङता है। हम सभी डर का अदुभव करते हैं, बल्कि साक्ष्य ये बताते हैं कि हम सभी कभी
न कभी डर से जरूर डरे हैं।
डर जीवन का एक हिस्सा है जो कई बार हमें आगे बढने
में भी मदद करता है। खुद को आग से बचाना या ड्राइवर के हार्न देने पर रास्ते से हट
जाना ये भी एक प्रकार का डर ही तो है जो सकारात्मक पहलु को दिखाता है। यदि बच्चे
में डर न हो तो उसके अस्तित्व को खतरा बना रहता है। यही डर हमारे लिये एक जीवन
सुरक्षात्मक उपाय है।
डर एक मानवीय प्राकृतिक संवेदना है, जिससे हर कोई
गुजरता है, चाहे वो मशहूर हस्ती ही क्यों न हो। अंतर यही है कि कुछ लोग इसे मान
लेते हैं या कुछ इसे अंदर रख कर मुकाबला करते हैं। एक्शन हीरो जैकी चान खतरनाक
स्टंट के लिये पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हैं। अनेक मंजिलों से कूद जाना जैकी के
बाँए हाँथ का खेल है लेकिन इंजेक्शन के ख्याल से ही उनको पसीना आ जाता है। उन्हे
इंजेक्शन फोबिया बचपन से है। हैरी पॉटर की लेखिका जे.के. रोलिंग ने अपनी पुस्तक
में तिलिस्म की दुनिया का बहुत संजीदगी से वर्णन किया लेकिन स्वयं मकङियों से डरती
हैं। प्रोफेसर जीन के अनुसार फोबिया किसी को भी हो सकता है। इस बात से फर्क नही
पङता कि आप कितने साहसिक हैं, बुद्धीमान हैं और तर्कशक्तियुक्त हैं। एडोल्फ हिटलर
से लेकर मार्क ट्वेन तक हर किसी को फोबिया के कहर ने अपना शिकार बनाया है।
आयरिश कवि, कहानीकार,नाटककार, ब्रेडन फ्रांसिस ने
कहा है, हमारे ज्यादातर डर टिश्यु पेपर जितने पतले होते हैं और साहस से उठाया कदम
हमें उससे बाहर निकाल लाता है। एक फिल्मी डॉयलॉग बहुत चलन में है कि जो डर गया वो
मर गया। डर पूरी तरह असंभावित है। कुछ भी कभी भी डरा सकता है। किसी को फूलों का
(एंथोफोबिया) तो किसी को पानी का (एक्वाफोबिया) डर होता है। कुछ लोगों को ऊँचाई से
(एक्रोफोबिया) डर लगता है तो किसी को 13 अंक (ट्रिसकैडेकाफोबिया) डराता है। एक शोध
के अनुसार 18-30 वर्ष के लोगों में ऊँचाई या उङान के डर की तुलना में मकङी, सुई या
क्लाउन का डर पाया गया।
फोबिया को जीतने का सबसे सरल तरीका है उसे समझकर
उसका सामना किया जाये। नियंत्रण से बाहर की परिस्थितियों के बारे में बैठकर सोचने
और चिन्ता करने की अपेक्षा डर को दूर करने का प्रयास करें क्योंकि जिंदगी बहुत
छोटी है, इसलिये जोखिम उठायें, बढें और सीखें क्योंकि डर के आगे जीत है।
So Friends, डर को खत्म करने का सिर्फ और सिर्फ एक ही तरीका है, कि हम निडर हो कर
उसका सामना करें।
Dar ka Samna karain........Good Advise......
ReplyDeleteDar ka Samna karain........Good Advice......
ReplyDeleteBrij Bhushan Gupta, New Delhi, 9810360393