आत्मियता, दया, और ममता की प्रतिमूर्ती श्रीमती सेम्पसन, न्याय प्रणाली की जटिलता और
न्याय के लिये समय तथा धन के व्यय से व्यथित लोगों की समस्या को गहराई समझती थीं। उनका
मानना था कि, समय अनमोल है, समय गँवाने का अर्थ होता है- जीवन गँवाना। सेम्पसन संयुक्त
राष्ट्र अमेरिका कि प्रथम अश्वेत महिला थीं जिन्हें हाईकोर्ट बेंच स्तर का
न्यायाधीश पद मिला था।
शिकागो की म्युनिसिपल कोर्ट दुनियाँ के सबसे बङे
और सबसे व्यस्त न्यायालयों में से एक है। प्रतिवर्ष इस न्यायालय में लगभग 30लाख से
भी ज्यादा मुकदमें आते हैं। दिन-पर-दिन जटिल होती जीवन की समस्याओं को सेम्पसन ने
समझा और उसका समुचित समाधान करने का भी प्रयास किया। उनका कहना था कि, एक व्यक्ति
न्याय पाने के लिये एक दिन काम का हर्ज करे यह भी उनके लिये बहुत होता है। यदि
उन्हे कई दिनों तक इंतजार करना पङे तो इसका स्पष्ट अर्थ आर्थिक संकट होगा जिसका
असर न केवल उस व्यक्ति पर पङता है वरन पूरे देश को भी प्रभावित करता है। उनका
न्यायालय विश्व का अपने ढंग का अनूठा न्यायालय था। वे दिनभर में सैकङों मुकदमें
निपटा देती थीं।
एडिथ सेम्पसन का न्यायाधीश तक का सफर आसान नही
था। उन्हे बहुत संघर्ष करना पङा था। अमेरिका में जब गोरे काले का भेद चरम शिखर पर
था, हर क्षेत्र में अश्वेतों को हिकारत की नजर से देखा जाता था। पक्षपात पूर्ण
वातावरण के बावजूद इतने बङे पद पर पहुँचना किसी आश्चर्य से कम नही है। एडिथ का
जन्म 1901 में एक गरीब परिवार में हुआ था। पिता एक सिलाई की दुकान पर काम करते थे
एवं माता हेट बनाती थीं। आर्थिक स्थिति कमजोर होने के बावजूद उनके पास श्रम और
संतोष की संपदा पर्याप्त थी। दृणइच्छा शक्ती और धैर्य के साथ वे दिन में काम करती
तथा रात्री पाठशालाओं और कॉलेजों में अध्ययन करती रहीं। उनकी मेहनत का फल ही था कि
शिकागो में जानी-मानी वकील में उनकी गिनती होने लगी थी। उनकी प्रतिभा को सम्मान
मिला, राष्ट्रपति ट्रूमेन के द्वारा 1950 में तथा 1952 में संयुक्त राष्ट्र संघ
में भेजे गये प्रतिनिधि मंडल में सदस्य मनोनित हुईं। 1962 में जज के रूप में
नियुक्त हुईं।
सादा जीवन एवं उच्च विचार वाली सेम्पसन के व्यक्तित्व से हर कोई प्रभावित होता था। लेकप्रियता का आलम ये था कि वे जिधर से भी निकल जातीं सभी श्रद्धा युक्त अभिवादन करते। उनके कोर्ट के एक वकील का कहना है कि-- “श्रीमती सेम्पसन के न्यायालय में मानवीय अधिकारों को संपदा के अधिकारों से उच्च स्थान दिया जाता है। उनके न्याय की सबसे बङी विशेषता सहज अनौपचारिक प्रक्रिया है। जज का सम्मान भी कम न होने पाए और काम भी शीध्र हो जाए इस दृष्टी से वे सर्वोत्तम न्यायाधीश हैं।“
सादा जीवन एवं उच्च विचार वाली सेम्पसन के व्यक्तित्व से हर कोई प्रभावित होता था। लेकप्रियता का आलम ये था कि वे जिधर से भी निकल जातीं सभी श्रद्धा युक्त अभिवादन करते। उनके कोर्ट के एक वकील का कहना है कि-- “श्रीमती सेम्पसन के न्यायालय में मानवीय अधिकारों को संपदा के अधिकारों से उच्च स्थान दिया जाता है। उनके न्याय की सबसे बङी विशेषता सहज अनौपचारिक प्रक्रिया है। जज का सम्मान भी कम न होने पाए और काम भी शीध्र हो जाए इस दृष्टी से वे सर्वोत्तम न्यायाधीश हैं।“
उनका व्यक्तित्व और उनका अध्यव्यसाय अनेक लोगों
के लिये प्रेरणा-प्रकाश के रूप में कार्य कर रहा है। उनका कहना था की- “अपनी योग्यता, अपना
पात्रत्व विकसित करो, श्रेय और सम्मान तो तुम्हारा इंतजार करता मिलेगा।“
1979 में लोगों के दुख को समझने वाली समाजसेविका
एवं न्यायधीश इहलोक को त्यागकर परलोक सिधार गई, परन्तु आज भी सेम्पसन के प्रति न
केवल अश्वेतों के मन में श्रद्धा है वरन कितने श्वेत लोग भी उनको अपनी माता की तरह
मानते हैं।
काश, हमारे देश में भी श्रीमती सेम्पसन जैसी
न्यायप्रणाली को मानने वाले न्यायाधीश होते तो न्यायालय से गरीब
देशवासियों को जल्दी और कम खर्च में न्याय मिल पाता।
Kary Mahaan Hai.......Timely & good decision maker......
ReplyDeleteBrij Bhushan Gupta, New Delhi, 9810360393