Sunday, 5 January 2014

बीती ताही बिसार दे, आगे की सुधि लेय



तारीखें बदलती हैं, साल बदलते हैं, किन्तु वक्त के इस बदलाव में सपने नही बदलते, आशाएं नही बदलती। आगे बढने की चाह कभी कमजोर नही होती। यही सोच विकास को मजबूती देती है। गतिमान समय के साथ अक्सर धूप के बीच बादल रूपी परेशानियाँ या असफलताएं भी अपने होने का एहसास करा देती हैं। कई बार ऐसा देखा जाता है कि इन क्षणिंक असफलताओं से हम में से कई लोग घबङा जाते हैं, जिसका असर आने वाले पल पर भी पढता है।

सच तो ये है कि, सभी परिस्थितियाँ कुछ न कुछ सबक दे कर जाती हैं। बदलती तारीखों के साथ प्रत्येक क्षेत्र में कुछ न कुछ बदलाव भी होता रहता है। जो समाज के विकास में भी जरूरी हैं। बहुत पहले डार्विन ने एक सिद्धान्त प्रतिपादित किया था कि, जो जीव परिस्थिती के अनुरूप अपने को ढाल लिये वही सरवाइव किये। ये सिद्धान्त आज की भागदौङ और तनाव भरी जिंदगी में अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि आज वही सरवाइव कर सकता है जो नए माहौल के अनुरूप स्वंय को ढाल लेता है। जिंदगी की इस रेस में हम कई बार जीतते हैं तो कई बार हार भी जाते हैं। लेकिन यदि हम अपना दिमाग खुला रखें तो हर अनुभव हमें समृद्ध बनाता है।

आजकल एक बङी समस्या ये भी है कि, प्रेम में असफल युवा अपनी इस असफलता को जिंदगी की हार समझ लेते हैं। जबकि उनके पास अनेक ऐसी क्षमताएं होती हैं, जिससे वे नया इतिहास रच सकते हैं। उन युवकों को ये समझना चाहिए कि आधुनिक तकनिकों से लैस 21वीं सदी हीर-रांझा या लैला-मजनू का समय नही है। आज टू मिनट नूडल्स की दुनिया में प्रेम भी शार्ट टर्म कोर्स की तरह हो गया है। फेसबुक, ट्यूटर, वाट्सअप जैसे नवीन संचार साधनो के जमाने में भावनात्मक ताने-बाने को ढूंढना किसी मूर्खता से कम नही है। आज दोस्ती, कल ब्रेकअप वाले रिश्तों की यादों में स्वंय को समेटना और जिंदगी के किमती पलों को दुश्वर बनाना किसी आत्महत्या से कम नही है।

तारीखों के बदलते ही जो यादें या डर विकास की राह में बाधा पहुँचाए उन्हे अपनी मेमोरीकार्ड से डीलिट कर देना चाहिए। अर्थात बीती ताही बिसार दे आगे की सुधि लेय। खाली हुए स्पेस में सकारात्मक विचारों को सेव(Save) कर लेना चाहिए। इन सकारात्मक विचारों से ही डर पे जीत हासिल होती है। मन में ये संकल्प करें कि सकारात्मक हौसले की उङान से मंजिल तय करेंगे। दोस्तों, यकीनन किसी हाई वे पर हँसती खेलती जिंदगी आप का इंतजार करती मिल जायेगी।   


4 comments:

  1. jo beet gayi so baat gayi... sach hai , apne katu anubhavon se seekh lekar ek naye josh ke saath aage badh jaana chahiye...

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  2. reallly nice article.... i like it

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