Thursday, 12 February 2015

Thanks for Co-Operation

Voice For Blind के सभी सदस्यों का हार्दिक स्वागत है। मित्रों इस दौरान मेरे पास कई मेल आई जिसमें अनेक लोगों ने क्लब से जुङकर दृष्टीबाधित लोगों को सहयोग देने की इच्छा व्यक्त की है। कुछ लोगों ने ये भी लिखा कि हम सहलेखक या रेकार्डिंग नही कर सकते परंतु उन लोगों को सहयोग देना चाहते हैं। दोस्तों आप सबके सहयोग को देखकर हमें, हमारी भारतीय संस्कृती पर और अधिक गर्व होता है। सच कहें तो किसी के लिए भी मन में सहयोग की भावना, हमारी भारतीय संस्कृती की पहचान है और हममें से कई लोगों ने ये अनुभव भी किया होगा कि किसी की सहायता करके एक रुहानी खुशी का एहसास होता है। सहयोग की भावना हमारे विकास का आधार भी है।  सहयोग के संदेश को और लोगों तक अपने माध्यम से पहुँचाकर भी आप दृष्टीबाधित लोगों की मदद कर सकते हैं क्योंकि अक्सर देखा जाता है कि कई लोग कुछ सामाजिक कार्य करना चाहते हैं लेकिन समझ नही पाते क्या करें, ऐसे में आप उन्हे हमारे क्लब के बारे में बता सकते हैं। मानव को ईश्वर का अंश मानने वाले स्वामी विवेकानंद जी ने  अपनी तेज और ओजस्वी वांणी के जरिये  लोगों को सामाजिक कार्यों हेतु प्रोत्साहिक किया था। 

मित्रों, आप अपने व्यस्त समय में से थोङा समय निकालकर अपने आस-पास स्थित किसी दृष्टीबाधित बच्चे की अध्ययन पुस्तिका को पढकर उसे सुना भी सकते हैं। दृष्टीबाधिता ही नही किसी भी प्रकार की विकलांगता, तब तक अभिशाप नही है जबतक हमारा समाज उनके साथ सहयोगात्मक और सकारात्मक सोच के साथ हो। सरकारें तो विकलांग लोगों को सिर्फ आरक्षण देकर नौकरी दे सकती है, परंतु कार्यस्थल पर हम लोगों का सामान्य और समान व्यवहार उन्हे आगे बढने का हौसला देता है। किसी सार्थक काम के लिए कडी  मेहनत करने का अवसर देकर जिंदगी हमें सबसे बङा ईनाम देती है। अतः जब भी किसी भी विकलांग व्यक्ति से मिले उसे मानवीय संवेंदनाओ के साथ सहयोग दें। आम आदमी की दिल्ली में हुई जीत ये साबित करती है कि जन मानस चाहे तो समस्त भारत में जरूरतमंद लोगों के लिए सहयोग की मशाल को भी प्रज्वलित कर सकता है। जिस तरह एक-एक बूंद से सागर बनता है उसी तरह हम सबके थोङे-थोङे सहयोग से दृष्टीबाधिता को भी सहयोग का विशाल सागर मिलेगा, इसी विश्वास के साथ आप सबको पुनः धन्यवाद। 

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दृष्टीबाधितों की सहायता कैसे कर सकते हैं

दृष्टीबाधिता के कारण    

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