दूसरों के खेत में काम कर आजिवका चलाने वाली रामरती ने आज अपनी एक एकङ जमीन में पूरी दुनिया सजा ली है। विकासखण्ड कैम्पियर गंज जिला गोरखपुर के सरपतहा गाँव की रामरती ने अपने खेत में मिश्रित खेती करके सभी को आश्चर्य चकित कर दिया है। रबि के मोसम में जहाँ एक ओर गेंहु की फसल दिखती है तो दूसरी तरफ तोरियां कटने को तैयार रहती है। सरसों की फसल हो या आलू की मेंढ पर मूली की फसल। 10बिसवा जमीन पर ऐसे केले लगे हैं जो सब्जी और फल दोनो में काम आते हैं। कहीं पपीते और अनार तो कहीं आम और अमरूद। इन सबके अलावा उनके बगीचे में सागौन और साल के पौधे भी अपनी उपस्थिती दर्ज किये हुए हैं।
मित्रों, रामरती की खेती पूरी तरह जैविक खादों से ही फल फूल रही है। रामरती ने गोरखपुर इन्वाइरन एक्शन ग्रुप से प्रशिक्षण लेने के बाद अपने खेतों के लिये विभिन्न प्रकार की जैविक खादों(नाडेप कम्पोस्ट, केंचुए की खाद, सी.पी.पी.) को स्वयं ही बनाती हैँ। गोमूत्र, लहसुन, सूर्ती, नीम आदी के प्रयोग से कीटनाशक भी घर पर ही बनाती हैँ। जैविक खादों के प्रयोग से मृदा का जैविक स्तर बढता है, जिससे लाभकारी जीवांणुओं की संख्या बढ जाती है और मृदा उपजाऊ रहती है।
दुश्वारियों से भरे जीवन को अपने अथक प्रयास से आम से खास बनाने वाली महिला किसान रामरती आज कई किसानों का आदर्श हैं। आज वे जैविक खादों का उपयोग एवं फसल उत्पादन के बारे में समझाने के लिये कई सरकारी एवं गैरसरकारी कार्यक्रमों में जाती हैं। राज्यस्तरीय सम्मेंलन में उन्हे कई बार प्रगतीशील किसान के रूप में सम्मानित किया गया है। रामरती के हौसले ने उनके जीवन को सर्वसम्पन्न बना दिया। आज उनके पास स्वयं का पक्का घर, बैल, सिंचाई के लिये पंप सेट, ओसाई पंखा तथा चारा मशीन भी है।
जहाँ चाह है वहाँ राह है को चरितार्थ करती रामरती हम सभी के लिये प्रेरणास्रोत हैं। मृदा एवं फसलों के लिये जैविक खाद कितना महत्वपूर्ण है इस बात का संदेश जन जन तक पहुँचाना उनके जीवन का प्रमुख लक्ष्य है।
किसी ने सच ही कहा है कि- जहाँ अडिग विश्वास है और अच्छाई से लगाव है, वहाँ सफलता है और शक्ति है।
धन्यवाद
GEAG Gorakhpur ki leading NGO hai....accha laga ye jaankar kii hakeekat me unke efforts change la rahe hain.
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