हम कितने भी आधुनिक हो जायें फिर भी हम समाज और उसके सहयोग की अहमियत को समझते हैं क्योंकि समाज से परे एकांकी रहकर तो व्यक्तिगत जीवन का भी विकास संभव नही है। धरती पर जीवन की बनावट ही कुछ ऐसी है कि मनुष्य अपने आप में सिमट कर नही रह सकता। विकास की यात्रा हो या जिवन यापन की जरूरतें सब के सहयोग से ही पूर्ण होती है।
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जिवन में पग-पग पर अनेक चुनौतियों का सामना करते हुए आज कई दृष्टीबाधित लोग अपने हौसले की रौशनी से स्वंय के साथ अनेक लोगों की जिंदगी को प्रकाशित कर रहे हैं। बेमिशाल जिंदादिली से कई लोगों को आत्मनिर्भर बना रहे हैं। कुदरत ने सभी को कुछ न कुछ कमियाँ दी हैं तो कुछ न कुछ प्रतिभाएं भी दी है।
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विकास के इस दौर में आप सबसे अनुरोध है कि, हम सब मिलकर दृष्टीबाधित बच्चों के लिये मानवीय भावना से ओत-प्रोत एक ऐसे आसमान की रचना करें, जिसकी छाँव में दृष्टीबाधित बच्चे सकारात्मक सहयोग और स्वयं के प्रयास से आत्मनिर्भर बन सकें।
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Friends, शिक्षा वो हथियार है जिसके माध्यम से आत्म सम्मान और आत्मनिर्भरता के साथ जीवन यापन किया जा सकता है। वाइस फॉर ब्लाइंड क्लब का उद्देश्य भी है कि, Visual Impaired Students को शिक्षा के माध्यम से आत्मनिर्भर बनाना। Read more:-
आपका थोङा सा समय किसी को आत्म सम्मान से जीने का अवसर दे सकता है
समस्त विश्व में दृष्टीबाधित अर्थात अन्धापन का कारण, कई प्रकार की बिमारियाँ, अस्वछता तथा उदासीनता है। भारत में सर्व प्रथम दृष्टीबाधिता का कारण रुबैला वायरस अथवा जर्मन मिजल्स होता था।
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दोस्तों आप सबके सहयोग को देखकर हमें, हमारी भारतीय संस्कृती पर और अधिक गर्व होता है। सच कहें तो किसी के लिए भी मन में सहयोग की भावना, हमारी भारतीय संस्कृती की पहचान है और हममें से कई लोगों ने ये अनुभव भी किया होगा कि किसी की सहायता करके एक रुहानी खुशी का एहसास होता है। सहयोग की भावना हमारे विकास का आधार भी है।
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धन्यवाद
अनिता शर्मा
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