Wednesday, 20 January 2016

आतंकवाद कभी भी अच्छा या बुरा नही होता

आतंकवाद सम्पूर्ण विश्व के लिये एक ऐसा परमाणु बम है, जिससे समस्त सजीव जगत का विनाश हो रहा है। आतंकवाद कभी भी अच्छा या बुरा नही होता, आतंकवाद का न कोई धर्म है, न कोई मज़हब। आतंकवाद तो वो ज़हर है जो इन्सानियत का सबसे बङा दुश्मन है।  सभी धर्म या मज़हब में मानवता को सर्वोपरी माना गया है फिर भी आतंकवाद के प्रचारक इसे जेहाद (धर्म) की लङाई बताकर भोले-भाले लोगों को दिशाभ्रमित कर रहे हैं। आज हम सब आतंकवाद रूपी एक ऐसे वायरस की चपेट में आगये हैं जिसको बच्चों की मासुमियत भी नज़र नही आती। विश्व के भविष्य को ही निस्तेनापूत करने वाला ये आतंकवाद रूपी बम सिर्फ दहशत का ही प्रतीक नही है बल्की समस्त सृष्टी को ही खत्म करने वाला प्रलय है। इस जलजले से सभी इंसानियत के रहनुमाओं को मिलकर लङना होगा। 
अटलबिहारी वाजपेये जी ने कहा था कि, "किसी भी मुल्क को आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक साझेदारी का हिस्सा होने का ढोंग नही करना चाहिये। जबकि वो आतंकवाद को बढाने, उकसाने और प्रयोजित करने में लगा हो।" 

अमेरीका का 9/11 आतंकी हमला या मुम्बई के  26/11 हमले को लोग भूल ही नही पाये थे कि, पेशावर के स्कूल में छोटे-छोटे मासूमों की चीख ने इन्सानियत के पहरेदारों को सोचने पर मजबूर कर दिया। आतंकवाद का न कोई अपना है और न ही कोई अपना देश क्योंकि ये तो जिस देश में पनाह लेता है उसे ही डस लेता है। आज विश्व के सभी देश इस कोबरे के चपेट में आ चुके हैं। कङी से कङी सुरक्षा में भी इसकी पहुँच हैं। जिसका परिणाम है, पेरिस और रूस  का आतंकवादी हमला। हाल ही में भारत में पठानकोट हमला और अभी पेशावर के विश्वविद्यालय पर हमाला यही दिखाता है कि, आतंकवाद के खिलाफ जो भी बोलेगा उसको आतंकवाद के रहनुमा नष्ट करने में तनिक भी देरी नही कर रहे हैं। 

आज समय की माँग है कि, संयुक्तराष्ट्र संघ को गुड और बैड टेरिरज्म का राग न अलापते हुए, इस तरह की शैतानी ताकतों को जङ से नष्ट करने के लिये कोई सख्त कदम उठाना होगा। विश्व के भविष्य को सुरक्षित रखने के लिये सभी देशों को मिलकर, आतांकवादियों के नापाक मनसुबों को नष्ट करना होगा। चंद पैसों के लालच में अपना ईमान बेचने वाले लोगों को अपनी  देशप्रेम की भावना को जिवंत करना है। 

दिया किसी के भी घर का बुझे सच्ची इंसानियत का ह्रदय करुणा से भर जाता है क्योंकि उसके लिये सभी बच्चे एकसमान होते हैं। इंसानियत की नेकदिली को देश, धर्म या जाति की दिवारें रोक नही सकती हैं। आज सभी इंसानी ताकतों को एक होना है और इस धरा पर से आतंकवाद रूपी राक्षस को धराशायी करना है।  मानवता के प्रतिनिधियों को मिलकर विश्व कल्यांण का संकल्प करते हुए, सर्वे भवन्तु सुखिनः का आह्वान करना होगा। 

आतंकवाद नफरत है ना पालो इसे,
दिलों में खलिश है निकालो इसे,
ना तेरा ना मेरा, ना इसका ना उसका,
ये सृष्टी है सबकी बचालो इसे। 

No comments:

Post a Comment